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बीकानेर मे बिन मौसम बारिश से फसल 80% तक नष्ट, पहले पाला, अब बारिश-ओलावृष्टि 

बीकानेर मे बिन मौसम बारिश से फसल 80% तक नष्ट, पहले पाला, अब बारिश-ओलावृष्टि

जिले के खाजूवाला, पूगल, कोलायत, बज्जू, छत्तरगढ़ क्षेत्रों में पाले ने फसल खराब कर दी तो लूणकरणसर, नोखा, श्रीडूंगरगढ़, बीकानेर क्षेत्र के किसानाें की चिंता बिन मौसम बारिश और ओलावृष्टि ने बढ़ा दी। हालात यह है कि जिले में 80 प्रतिशत किसानों के लिए रबी के सीजन में लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है।

जिले के खाजूवाला, पूगल, कोलायत, बज्जू, छत्तरगढ़ क्षेत्रों में पाले ने फसल खराब कर दी तो लूणकरणसर, नोखा, श्रीडूंगरगढ़, बीकानेर क्षेत्र के किसानाें की चिंता बिन मौसम बारिश और ओलावृष्टि ने बढ़ा दी। हालात यह है कि जिले में 80 प्रतिशत किसानों के लिए रबी के सीजन में लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है।

जिले में रबी सीजन के दौरान 6,88,536 हेक्टेयर में फसलों की बिजाई हुई थी जिसमें 95,515 हेक्टेयर में गेहूं, 2,42,370 हेक्टेयर में चना, 2,62,230 हेक्टेयर में सरसों, 10,642 हेक्टेयर में जीरा और 20,195 हेक्टेयर में ईसबगोल का बिजान हुआ था। इनमें से 80 प्रतिशत तक ये फसलें खराब हो चुकी है। 25,951 हेक्टेयर में जौ की फसल थी। इसमें भी 20 से 25 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है।

मार्च के महीने में मौसम में बार-बार आए बदलाव के परेशान किसानों ने गेहूं, जौ और सरसों की फसल की कटाई भी कर ली लेकिन उसका इकट्‌ठा करते उससे पहले ही बारिश और ओलों ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया।

लूणकरणसर और नोखा में ज्यादा खराबा

बारिश और ओलों से सबसे अधिक नुकसान लूणकरणसर और नोखा तहसील में हुआ है। नोखा में जीरा 90 प्रतिशत तक, सरसों 85 प्रतिशत और ईसबगोल 85 प्रतिशत तक नष्ट हो चुका है। वहीं लूणकरणसर क्षेत्र में ढाणी पांडुसर में 50 प्रतिशत, किशनासर और शेखसर में 40 प्रतिशत और राजासर उर्फ करणीसर में 45 प्रतिशत गेहूं की फसल खराब हो गई।

वहीं महाजन, मोखमपुरा और मलकीसर में गेहूं, जौ और चने की फसल में 50 प्रतिशत तक खराबा हुआ। सुरनाणा और कांकड़वाला के चक 1 सीएचडी व 6 बीएचएम में 80 और 50 प्रतिशत तक गेहूं और जौ की फसलें बारिश-ओलावृष्टि से नष्ट हो गई।

कृषि विभाग 40% तो राजस्व विभाग ने 90% खराबा माना कृषि विभाग ने ईसबगोल की फसल में 35 से 45 प्रतिशत तक और जीरे में 25 से 35 प्रतिशत तक खराबा बताया। गेहूं, चना और सरसों में 10-15 प्रतिशत तक खराबा माना।

वहीं दूसरी ओर राजस्व विभाग ने जीरे-ईसबगोल में 85 से 90 प्रतिशत तक, गेहूं, चना और सरसों में 45 से 50 फीसदी से अधिक खराबा बताया है। कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर कैलाश चंद्र का कहना है कि हमें तो तत्काल आकलन करना होता है इस कारण यह अंतर आता है।

कर्ज चुकाने, पक्का मकान बनाने और बेटी की शादी के अरमान धुले

दूसरी फसल पर करेंगे बेटी का ब्याह: होली के दिन गिरे ओलों ने चक 6 बीएचएम के धर्मपाल गोदारा के सारे सपने बिखेर दिए। 18 बीघा में गेहूं की फसल ठीक थी। इस बार फसल आने के बाद शादी का सोचा। पहले पाले और फिर ओलों के कारण लागत भी आनी मुश्किल है। बेटी की शादी अगली फसल पर करेंगे।

20 लाख में से एक रुपया भी नहीं चुका पाऊंगा

बिग्गा गांव के रामेश्वरलाल जाखड़ ने इस बार खेत में डिग्गी बनवाई और कुआं खुदवाया। इसके लिए 20 लाख का कर्जा लिया। 20 बीघा में ईसबगोल और 10 बीघा में गेहूं बोया। आठ लाख रुपए चुकाने की उम्मीद थी। फसल खराब होने से एक रुपया भी नहीं चुका पाऊंगा।

पक्का घर बनाने का सपना ही रह गया

बासी बरसिंहसर का मदनलाल सियाग का घर बनाने का सपना दो दिन पहले हुई बारिश से बिखर गया। हिस्से में खेत की बुआई की। सोचा पैसा आएगा तो अपना घर बनाऊंगा लेकिन इस सप्ताह दो बार हुई बारिश से खेत में खड़ी आधी फसल खराब हो गई।

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