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माँ चंद्रघंटा की पूजा और व्रत विधि »

शरद नवरात्रि का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा को समर्पित है। माँ चंद्रघंटा को दस महाविद्याओं में से एक माना जाता है। इनकी चार भुजाएँ हैं, जिनमें त्रिशूल, तलवार, धनुष, और गदा धारण किए हुए हैं। इनके मस्तिष्क पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसीलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।

माँ चंद्रघंटा को पराक्रम, साहस, और बुद्धि की देवी माना जाता है। इनकी पूजा करने से भक्तों को सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन माँ चंद्रघंटा की विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

भक्तों को पराक्रम और साहस की प्राप्ति होती है।

भक्तों के सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

भक्तों के सभी पापों का नाश होता है।

भक्तों को बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

तृतीय शरद नवरात्रि की पूजा विधि:

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।

अपने घर को साफ-सुथरा करें और गंगा जल छिड़कें।

पूजा स्थल पर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर माँ चंद्रघंटा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

माँ को गंगा जल, फूल, अक्षत, धूप, दीप, फल, और मिठाई अर्पित करें।

माँ के मंत्रों का जाप करें।

माँ से अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की प्रार्थना करें।

तृतीय शरद नवरात्रि का व्रत विधि:

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।

पूरे दिन निराहार रहें और केवल फलाहार करें।

शाम को माँ चंद्रघंटा की पूजा करें और व्रत का पारण करें।

तृतीय शरद नवरात्रि की पूजा और व्रत करने से भक्तों को माँ चंद्रघंटा की कृपा प्राप्त होती है और उनके सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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