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शाम की पूजा का सही समय क्या? 99% लोग करते हैं गलती, घर में दबे पांव आ सकती है कंगाली, ज्योतिषाचार्य से समझें सबकुछ

हाइलाइट्स

सुबह की पूजा 5 से 6 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त में होना अधिक फलदायी मानी जाती है.
शाम को सूर्यास्त के एक घंटे पहले और सूर्यास्त के एक घंटे बाद तक का समय उत्तम है.

Evening puja Rules: हिंदू धर्म में हर देवी-देवता की पूजा का विशेष महत्व है. सनातन धर्म में पूजा-पाठ के बिना दिन की शुरुआत करने की कल्पना संभव नहीं है. यही वजह कि हिंदू धर्म को मानने वाले लोग सुबह-शाम पूजा के दौरान इससे जुड़े नियम को भी फॉलो करते हैं. वह प्रतिदिन सुबह और शाम दोनों समय धूप, दीप, आरती कर भगवान की पूजा करते हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से न केवल मन को शांति मिलती है, बल्कि देवी-देवता भी प्रसन्न होकर मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. हालांकि सुबह-शाम पूजा के कुछ जरूरी नियम भी होते हैं, जिसमें समय का विशेष महत्व होता है.

सुबह पूजा के समय की जानकारी तो ज्यादातर लोगों को होती है पर शाम के समय को लेकर कंफ्यूज हो जाते हैं. लोग शाम को बिना कुछ सोचे समझे किसी भी समय पूजा शुरू कर देते हैं, लेकिन ऐसा करना गलत है. दरअसल, ऐसा करने से घर में आर्थिक संकट पैदा हो सकता है. अब सवाल है कि आखिर शाम की पूजा का सही समय है क्या? जीवन में क्या पड़ता है असर? शाम की पूजा के नियम क्या हैं? इन सवालों के बारे में बता रहे हैं उन्नाव के ज्योतिषाचार्य पं. ऋषिकांत मिश्र शास्त्री…

शाम को पूजा करने का सही समय

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, पूजा सुबह की हो या शाम की, समय का जरूर ध्यान रखना चाहिए. हिंदू धर्म में देवी-देवताओं का पूजन दिन में 5 बार करना अधिक फलदायी माना गया है. ऐसे में सुबह की पूजा 5 से 6 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त में हो जानी चाहिए. वहीं, शाम को सूर्यास्त के एक घंटे पहले और सूर्यास्त के एक घंटे बाद तक का समय उत्तम माना गया है. कभी भी संध्याकाल की पूजा रात्रि में नहीं करनी चाहिए. ऐसा करने से देवगण नाराज होते हैं, जिससे आर्थिक संकट पैदा हो सकता है.

शाम की पूजा में शंख-घंटी बजाने से बचें

धार्मिक ग्रंथों में पूजा के दौरान शंख और घंटी बजाने का विशेष महत्व है. ऐसा करने से घर में सकारात्मकता बढ़ती है. लेकिन ऐसा सिर्फ सुबह की पूजा में ही करना चाहिए. क्योंकि शाम की पूजा में शंख और घंटी को भूलकर भी नहीं बजाना चाहिए. माना जाता है कि सूर्य अस्त होने के बाद देवी-देवता शयन को चले जाते हैं. ऐसे में शंख या घंटी बजाने से उनके विश्राम में खलल पैदा हो सकता है.

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शाम को भगवान पर फूल न चढ़ाएं

शास्त्रों के अनुसार, भगवान को फूल बेहद प्रिय होते हैं. ऐसे में लोग ताजे फूल तोड़कर भगवान को अर्पित करते हैं. ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. लेकिन शाम को पूजा के समय भगवान पर फूल चढ़ाने से बचना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार, शाम के समय फूल तोड़ना शुभ नहीं होता है. ऐसा करने से जीवन में गलत प्रभाव पड़ सकता है.

पूजा की पूजा में तुलसी पत्ते न चढ़ाएं

हिंदू धर्म में पूजा पाठ या अनुष्ठानों में तुलसी के पत्तों का प्रयोग करना बेहद शुभ माना जाता है, लेकिन शाम के वक्त तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़ना चाहिए और न ही शाम के समय होने वाली पूजा में तुलसी का प्रयोग करना चाहिए. अगर आप संध्या के समय पूजा में तुलसी का इस्तेमाल करते हैं तो आपको जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. बता दें कि, सूर्यास्त के बाद तुलसी को छूना भी वर्जित माना गया है.

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शाम को सूर्यदेव की पूजा न करें

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, हिंदू धर्म में की जाने वाली लगभग सभी पूजा में सूर्य देव का आह्वान जरूर किया जाता है, लेकिन सूर्यदेव की पूजा हमेशा दिन में की जाती है. सूर्यास्त के बाद सूर्यदेव की पूजा करना अशुभ माना जाता है. वहीं, शाम को पूजा स्थल का पर्दा कर देना चाहिए, ताकि भगवान के विश्राम में बाधा उत्पन्न न हो.

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Lifestyle

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