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Anant Chaturdashi 2023: रवि योग में अनंत चतुर्दशी, व्रत वाले दिन अग्नि पंचक और भद्रा भी, जानें मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

kab hai anant chaturdashi 2023: अनंत चतुर्दशी व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी ति​थि को रखा जाता है. इस बार अनंत चतुर्दशी व्रत रवि योग में है, लेकिन उस दिन अग्नि पंचक के साथ भद्रा का साया है. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करते हैं और 14 गांठ वाले अनंत धागे या रक्षा सूत्र को दाहिने हाथ में बांधते हैं. इससे व्यक्ति की रक्षा होती है, वह भय मुक्त होता है और विष्णु कृपा से जीवन के अंत समय में वैकुंठ की प्राप्ति होती है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं अनंत चतुर्दशी पर बनने वाले रवि योग, अग्नि पंचक, भद्रा, मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में.

अनंत चतुर्दशी 2023 की सही तिथि क्या है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 27 सितंबर को रात 10 बजकर 18 मिनट से प्रारंभ हो रही है और इस तिथि का समापन 28 सितंबर को शाम 06 बजकर 49 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर अनंत चतुर्दशी का व्रत 28 सितंबर को रखा जाएगा.

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अनंत चतुर्दशी 2023 का पूजा मुहूर्त कब से है?
28 सितंबर को अनंत चतुर्दशी व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 12 मिनट से शाम 06 बजकर 49 मिनट तक है. इस दिन पूजा का मुहूर्त 12 घंटे 37 मिनट तक है.

रवि योग में अनंत चतुर्दशी 2023
अनंत चतुर्दशी वाले दिन रवि योग बन रहा है. रवि योग सुबह 06 बजकर 12 मिनट से शुरू हो रहा है और देर रात 01 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. रवि योग में सूर्य देव की प्रबलता अधिक होती है. यह एक शुभ योग है.

अनंत चतुर्दशी 2023 पर अग्नि पंचक और भद्रा का साया
अनंत चतुर्दशी पर पूरे दिन अग्नि पंचक है. अग्नि पंचक 26 सितंबर से प्रारंभ हुआ है, इसमें अग्नि से संबंधित कार्यों को करने की मनाही होती है. भद्रा का साया शाम 06 बजकर 49 मिनट से है, जो अगले दिन प्रात: 04 बजकर 06 मिनट तक है.

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उस दिन भद्रा का वास पृथ्वी पर है, उस समय में कोई शुभ कार्य नहीं करते हैं. हालांकि भद्रा और पंचक में व्रत और पूजा पाठ करना वर्जित नहीं है. अनंत चतुर्दशी के दिन भद्रा का प्रारंभ तब हो रहा है, जब पूजा मुहूर्त खत्म हो रही है. पंचक में कुछ कार्यों को करने की ही मनाही होती है, व्रत और पूजा पाठ कर सकते हैं.

अनंत चतुर्दशी व्रत और पूजा विधि
अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह में स्नान के बाद व्रत और पूजा का संकल्प करें. उसके बाद पूजा घर में एक कलश स्थापित करें. फिर शेषनाग पर शयन करते भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें. उसके बाद एक धागा या रक्षा सूत्र लें और उसमें 14 गांठ लगा दें. उसे भी पूजा स्थान पर रख दें.

इसके बाद ओम अनंताय नम: मंत्र का जाप करते हुए अक्षत्, फूल, रोली, माला, धूप, दीप, गंध आदि से भगवान विष्णु और अनंत धागे का पूजन करें.​ फिर अनंत धागे या अनंत रक्षा सूत्र को अपने दाएं हाथ में बांध लें. महिलाएं उस धागे को बाएं हाथ में बांधें. फिर अनंत चतुर्दशी व्रत कथा सुनें. प्रसाद ग्रहण करें. ब्राह्मण को भोजन कराकर आशीर्वाद लें. यह व्रत 14 साल तक करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है.

Tags: Dharma Aastha, Lord vishnu

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