हाइलाइट्स
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा मनाते हैं.
देवी अपराजिता की पूजा का मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से 02 बजकर 43 मिनट तक है.
दशहरा को देवी अपराजिता की पूजा करने से व्यक्ति को सर्वत्र विजय की प्राप्ति होती है.
इस साल दशहरा 24 अक्टूबर दिन मंगलवार को है. हर वर्ष नवरात्रि के समापन के बाद दशहरा मनाते हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा मनाते हैं. इसे विजयादशमी के नाम से भी जानते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने लंका विजय से पूर्व देवी अपराजिता की पूजा की थी. जिसके फलस्वरूप उन्होंने रावण वध करके लंका पर जीत हासिल की और माता सीता को मुक्त कराकर अयोध्या वापस लेकर गए. यदि आप भी अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं तो दशहरा के दिन देवी अपराजिता की पूजा करें. उनके आशीर्वाद से आपको सफलता प्राप्त होगी. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं देवी अपराजिता की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में.
दशहरा 2023 की शुभ तिथि कब है?
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 23 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और यह 24 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के आधार पर दशहरा का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
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दशहरा 2023 देवी अपराजिता पूजा मुहूर्त
दशहरा के दिन देवी अपराजिता की पूजा विजय मुहूर्त में करनी चाहिए. इससे देवी अपराजिता प्रसन्न होंगी और आप शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर पाएंगे. देवी अपराजिता की पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से दोपहर 02 बजकर 43 मिनट तक है. उस दिन आपको देवी अपराजिता की पूजा के लिए 45 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा.
रवि योग में होगी देवी अपराजिता की पूजा
दशहरा वाले दिन रवि योग बन रहा है. जिस समय देवी अपराजिता की पूजा होगी, उस समय भी रवि योग होगा. रवि योग सुबह 06 बजकर 27 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 28 मिनट तक रहेगा. उसके बाद शाम 06 बजकर 38 मिनट से अगले दिन सुबह 06 बजकर 28 मिनट तक रवि योग बना रहेगा. दशहरा का अभिजित मुहूर्त सुबह 11:43 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक है.
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देवी अपराजिता की पूजा विधि
दशहरा वाले दिन सुबह में स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें. देवी अपराजिता की पूजा का संकल्प करें. फिर विजय मुहूर्त में देवी अपराजिता की पूजा करें. उनको अक्षत्, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि अर्पित करें. पूजा के दौरान ओम अपराजितायै नम: मंत्र का जाप करें. इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार कर सकते हैं. इसके अलावा अर्गला स्तोत्र, देवी कवच और देवी सूक्तम का पाठ करना चाहिए. घी के दीप या कपूर से देवी अपराजिता की आरती करें.
देवी अपराजिता की पूजा से होने वाले फायदे
दशहरा को देवी अपराजिता की पूजा करने से व्यक्ति को सर्वत्र विजय की प्राप्ति होती है. देवी अपराजिता के आशीर्वाद से व्यक्ति को सभी दिशाओं में विजय मिलता है. देवी अपराजिता के नाम से ही स्पष्ट है कि वे शक्ति की देवी हैं, जिनको कोई पराजित नहीं कर सकता है. वे अजेय और अपराजित हैं. कार्यों में सफलता के लिए देवी अपराजिता की पूजा होती है. दशहरा पर देवी अपराजिता के अलावा शमी पूजा भी करते हैं.
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Tags: Dharma Aastha, Durga Pooja, Navratri, Navratri festival
FIRST PUBLISHED : October 19, 2023, 08:14 IST