हाइलाइट्स
जितिया व्रत में गंधर्व राजा जीमूतवाहन की पूजा होती है और व्रत कथा सुनते हैं.
आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि का प्रारंभ 6 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 34 मिनट पर होने वाला है.
जितिया व्रत के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: 06 बजकर सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक है.
जितिया व्रत हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. जितिया को जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है. इस दिन माताएं अपनी संतान की सुरक्षा और उसके सुखी जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. जितिया व्रत में गंधर्व राजा जीमूतवाहन की पूजा होती है और जितिया व्रत कथा सुनते हैं. राजा जीमूतवाहन ने पक्षीराज गुरुड़ से नागमाता के पुत्रों की रक्षा की थी. इस वजह से माताएं जितिया व्रत में
जीमूतवाहन से अपनी संतान की सुरक्षा, सभी संकटों से मुक्ति देने और उनके सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि इस साल जितिया व्रत कब है? जितिया व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और पूजा विधि क्या है?
कब है जितिया व्रत?
पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि का प्रारंभ 6 अक्टूबर दिन शुक्रवार को सुबह 06 बजकर 34 मिनट पर होने वाला है और इस तिथि की मान्यता 7 अक्टूबर शनिवार को सुबह 08 बजकर 08 मिनट तक है. ऐसे में जितिया व्रत 7 अक्टूबर को रखा जाएगा.
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सर्वार्थ सिद्धि समेत 2 शुभ योग में जितिया व्रत
इस साल जितिया व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और परिघ योग बन रहे हैं. सर्वार्थ सिद्धि योग रात में 09 बजकर 32 मिनट से बन रहा है, जो पारण वाले दिन 7 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 17 मिनट तक है. वहीं परिघ योग सुबह से लेकर अगले दिन प्रात: 05 बजकर 31 मिनट तक है. व्रत के दिन आर्द्रा नक्षत्र सुबह से लेकर रात 09 बजकर 32 मिनट तक है, उसके बाद से पुनर्वसु नक्षत्र है.
जितिया व्रत 2023 पूजा मुहूर्त
6 अक्टूबर को जितिया व्रत के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: 06 बजकर सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक है. इसमें चर-सामान्य मुहूर्त सुबह 06:16 बजे से सुबह 07:45 बजे तक है. उसके बाद लाभ-उन्नति मुहूर्त सुबह 07:45 बजे से सुबह 09:13 बजे तक है. अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 09:13 बजे से सुबह 10:41 बजे तक है. उस दिन का अभिजित मुहूर्त 11:46 एएम से 12:33 पीएम तक है.
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जितिया व्रत की पूजा विधि
जिन माताओं को जितिया व्रत रखना है, वे व्रत पूर्व से सात्विक भोजन करें. व्रत वाले दिन प्रात:काल में स्नान आदि के बाद जितिया व्रत और पूजा का संकल्प करें. यह आपको निर्जला व्रत करना है. पूजा मुहूर्त में कुश से निर्मित जीमूतवाहन की मूर्ति की स्थापना पानी से भरे एक पात्र में करें.
इसके बाद अक्षत्, फूल, माला, सरसों तेल, खल्ली, बांस के पत्ते, धूप, दीप आदि से जीमूतवाहन की पूजा करें. उन पर लाल और पीले रंग की रूई अर्पित करें. फिर मिट्टी और गोबर से बनी मादा चील और मादा सियार की मूर्ति पर सिंदूर, केराव, खीरा, दही और चूड़ा चढ़ाएं. उसके बाद जितिया व्रत की कथा सुनें. संतान की सुरक्षा और उसके सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करें. फिर अगले दिन स्नान आदि के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें.
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Tags: Dharma Aastha, Religion
FIRST PUBLISHED : October 3, 2023, 08:11 IST