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Navratri 2023: कब और कैसे करें नवरात्रि का हवन? जानें विधि, सामग्री और मंत्र, मां दुर्गा से पाएं आशीर्वाद

हाइलाइट्स

नवरात्रि का हवन आप पहले दिन से लेकर महानवमी तक कर सकते हैं.
दुर्गा अष्टमी और महानवमी को सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह से शाम तक है.
हवन करने से नवग्रह, देवी-देवताओं को उनसा अंश प्राप्त होता है, प्रसन्न होकर वे आशीर्वाद देते हैं.

शारदीय नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा के लिए होते हैं. इसमें नवदुर्गा के प्रिय भोग, फूल, मंत्र आदि का उपयोग करते हैं. इसमें कन्या पूजा भी की जाती है. कन्या पूजा की तरह हवन भी नवरा​त्रि व्रत का प्रमुख भाग है. इसके बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हवन करने से नवग्रह, देवी और देवताओं को उनसा अंश प्राप्त होता है, जिससे प्रसन्न होकर वे आशीर्वाद देते हैं और
मनो​कामनाएं पूरी होती हैं. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी बता रहे हैं कि नवरात्रि का हवन कब करें? हवन की विधि, हवन सामग्री क्या है? हवन करने के लाभ क्या हैं?

कब करें नवरात्रि हवन 2023?
ज्योतिषाचार्य तिवारी का कहना है कि नवरात्रि का हवन आप पहले दिन से लेकर महानवमी तक कर सकते हैं. हालांकि लोगों के पास समय का अभाव होता है, इसलिए नवरात्रि का हवन दुर्गा अष्टमी और महानवमी को किया जाता है. आपके यहां दुर्गा अष्टमी और महानवमी में से जिस दिन हवन होता है, उस दिन कर लें. इस साल दुर्गा अष्टमी 22 अक्टूबर रविवार को और महानवमी 23 अक्टूबर सोमवार को है.

रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग में दुर्गा अष्टमी-महानवमी
22 अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:26 बजे से शाम 06:44 बजे तक और रवि योग शाम 06:44 बजे से अगले दिन सुबह 06:27 बजे तक है. 23 अक्टूबर को महानवमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:27 बजे से शाम 05:14 बजे तक है. रवि योग पूरे दिन है.

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नवरात्रि हवन 2023 का समय
दुर्गा अष्टमी और महानवमी को सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह से शाम तक है. इस दिन आप सूर्योदय के बाद महागौरी और सिद्धिदात्री पूजा करें. उसके बाद हवन करें. फिर कन्या पूजा कर सकते हैं.

नवरात्रि की हवन सामग्री क्या है?
1. एक हवन कुंड,
2. कुश का आसन, हवन पुस्तिका
3. चंदन, बेल, नीम, आम और पीपल की सूखी लकड़ी
4. चावल, काला तिल, सूखा नारियल, जौ
5. कपूर, गाय का घी, लोबान, गुग्गल, शक्कर
6. मुलैठी की जड़, अश्वगंधा, ब्राह्मी, पलाश और गूलर की छाल
7. रोली, धूप, दीप, अगरबत्ती, पान के पत्ते, मिठाई
8. इलायची, लौंग, 5 प्रकार के फल, शहद, सुपारी
9. कलावा, हवन सामग्री, गंगाजल, चरणामृत, फूलों की माला

हवन करने का मंत्र
ओम आग्नेय नम: स्वाहा,
ओम गणेशाय नम: स्वाहा,
ओम गौरियाय नम: स्वाहा,
ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा,
ओम दुर्गाय नम: स्वाहा,
ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा,
ओम हनुमते नम: स्वाहा,
ओम भैरवाय नम: स्वाहा,
ओम कुल देवताय नम: स्वाहा,
ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा,
ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा,
ओम विष्णुवे नम: स्वाहा,
ओम शिवाय नम: स्वाहा.

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ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमस्तुति स्वाहा.

ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा.

ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा.

ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते.

ओम पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा.

नवरात्रि हवन कैसे करें?
पूजा करने के बाद हवन की तैयारी करें. इसके लिए एक वेदी बनाएं और उस पर हवन कुंड रखें. फिर एक बड़े बर्तन में हवन सामग्री को मिलकार रख लें. कुश के आसन पर बैठें और सिर पर रुमाल या तौलिया रख लें. अब हवन कुंड में सबसे पहले गोबर की उप्पलों के बीच में कपूर रखें. आम, चंदन आदि की सूखी लकड़ियों को रखकर आग जलाएं.

फिर मंत्रोच्चार करते हुए हवन सामग्री से आहुति देना प्रारंभ करें. नवदुर्गा, नवग्रह, त्रिदेव समेत सभी देवी-देवताओं के लिए आहुति दें. उसके बाद एक सूखा नारियल लें और उस पर कलावा लपेट दें. उसके सबसे ऊपर खीर, पूड़ी, पान का पत्ता, सुपारी, लौंग, फल आदि रखकर हवन कुंड के बीचो बीच स्थापित कर दें. ध्यान रखें कि आपका हाथ न जले. फिर कपूर या घी के दीप से मां दुर्गा की विधिपूर्वक आरती करें.

Tags: Dharma Aastha, Durga Pooja, Navratri, Navratri festival

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