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Navratri 2023 7th Day: त्रिपुष्कर योग में महासप्तमी आज, करें मां कालरात्रि की पूजा, ये रही विधि, मुहूर्त, मंत्र, आरती और महत्व

हाइलाइट्स

आज के दिन त्रिपुष्कर योग शाम 07 बजकर 54 मिनट से रात 09 बजकर 53 मिनट तक है.
मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ है. वे हाथों में कटार और व्रज धारण करती हैं.
मां कालरात्रि की पूजा करने पर व्यक्ति के अंदर साहस, निर्भय और पराक्रम में वृद्धि होती है.

आज शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन है, जिसे महासप्तमी के नाम से जानते हैं. इस साल महासप्तमी त्रिपुष्कर योग में है. इस योग में किए गए कार्यों के तीन गुने फल प्राप्त होते हैं. महासप्तमी को मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा करते हैं. मां कालरात्रि के आशीर्वाद से भक्तों के भय, रोग और दोष खत्म हो जाते हैं. इनकी पूजा से अकाल मृत्यु का योग भी टल सकता है. संकटों को दूर करके भक्तों की रक्षा करती हैं. मां कालरात्रि का रंग काला है और वह देखने में भयंकर हैं. उनके स्वरूप को देखकर ही डर पैदा होता है. शत्रु उनके सामने टिक नहीं पाते. ये देवी शत्रुओं के लिए साक्षात् काल के समान हैं, इस वजह से इनको कालरात्रि कहते हैं. हालांकि ये अपने भक्तों को शुभ फल प्रदान करती हैं, इसलिए इनको शुभंकरी भी कहते हैं. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं मां कालरात्रि की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, आरती और महत्व के बारे में.

महासप्तमी 2023 तिथि मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, नवरात्रि की सप्तमी तिथि यानि आश्विन शुक्ल सप्तमी तिथि का प्रारंभ 20 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट से हुआ है और यह तिथि आज रात 09 बजकर 53 मिनट तक मान्य है. ऐसे में शारदीय नवरात्रि की महासप्तमी आज 21 अक्टूबर को है. महासप्तमी नवरात्रि के सातवें दिन होती है.

महासप्तमी 2023: मां कालरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त
आज के दिन त्रिपुष्कर योग शाम 07 बजकर 54 मिनट से रात 09 बजकर 53 मिनट तक है. आज आप सुबह में सूर्योदय के बाद से मां कालरात्रि की पूजा कर सकते हैं.

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मां कालरात्रि का पूजा मंत्र
ओम देवी कालरात्र्यै नमः

मां कालरात्रि का प्रिय फूल और भोग
मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ है. वे हाथों में कटार और व्रज धारण करती हैं. उनके केश खुले होते होते हैं. महासप्तमी के दिन मां कालरात्रि को रातरानी का फूल अर्पित करना चाहिए. यदि वह नहीं मिलता है तो देवी को लाल रंग का गुड़हल या लाल गुलाब चढ़ाएं. मां कालरात्रि को गुड़ का भोग प्रिय है.

मां कालरात्रि की पूजा विधि
आज सुबह में स्नान और सूर्य को अर्घ्य देने के बाद मां कालरात्रि की पूजा करें. उनको लाल फूल या रातरानी का फूल, अक्षत्, सिंदूर, फल, नैवेद्य, धूप, दीप, गंध आदि चढ़ाएं. मां कालरात्रि का मंत्रोच्चार करें. उनको खुश करने के लिए गुड़ का नैवेद्य ​अर्पित करें. पूजा के अंत में मां कालरात्रि की आरती करें. फिर अपनी मनोकामना माता के सामने व्यक्त कर दें.

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मां कालरात्रि की पूजा के फायदे
महासप्तमी को मां कालरात्रि की पूजा करने पर व्यक्ति के अंदर साहस, निर्भय और पराक्रम में वृद्धि होती है. देवी कालरात्रि सभी प्रकार के भय और संकटों को दूर करती हैं. अपने दुश्मनों पर विजय हासिल करने के लिए कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए.

देवी कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली। काल के मुह से बचाने वाली॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा॥ कालरात्रि जय…

खडग खप्पर रखने वाली।दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा॥ कालरात्रि जय…

सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥ कालरात्रि जय…

ना कोई चिंता रहे बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें। महाकाली माँ जिसे बचाबे॥ कालरात्रि जय…

तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि माँ तेरी जय॥

Tags: Dharma Aastha, Durga Pooja, Navratri, Navratri festival

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