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Papankusha Ekadashi 2023: कब है पापांकुशा एकादशी? जानें सही तिथि, विष्णु पूजा का मुहूर्त, हरि कृपा से मिटेंगे सारे पाप

हाइलाइट्स

आश्विन शुक्ल एकादशी तिथि 24 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट से प्रारंभ होगी.
इस साल पापांकुशा एकादशी का व्रत 3 शुभ योग में है.
पापांकुशा एकादशी के दिन भद्रा और पंचक भी है.

पापांकुशा एकादशी का व्रत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के पापों का प्रायश्चित होता है. हरि कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है. जो व्यक्ति पापांकुशा एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करता है, उसे 100 सूर्य यज्ञ और 1 हजार अश्वमेध यज्ञ करने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है. भगवान विष्णु के आशीर्वाद से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती है. केंद्रीय संस्कृत वि​श्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं ​कि इस साल पापांकुशा एकादशी व्रत कब है? पापांकुशा एकादशी व्रत का पूजा मुहूर्त और महत्व क्या है?

कब है पापांकुशा एकादशी 2023?
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 24 अक्टूबर दिन मंगलवार को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट से प्रारंभ होगी. इस तिथि की समाप्ति 25 अक्टूबर दिन बुधवार को दोपहर 12 बजकर 32 मिनट पर होगी. उदयातिथि के आधार पर इस साल पापांकुशा एकादशी व्रत 25 अक्टूबर को रखा जाना उत्तम है.

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3 शुभ योग में है पापांकुशा एकादशी व्रत
इस साल पापांकुशा एकादशी का व्रत 3 शुभ योग में है. पापांकुशा एकादशी के दिन रवि योग, वृद्धि योग और ध्रुव योग बन रहे हैं. उस दिन रवि योग सुबह 06 बजकर 28 मिनट से प्रारंभ हो रहा है और दोपहर 01 बजकर 30 मिनट तक मान्य रहेगा. वहीं वृद्धि योग प्रात:काल से प्रारंभ होगा और वह दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. उसके बाद से ध्रुव योग शुरू होगा, रात तक है.

पापांकुशा एकादशी 2023 पूजा मुहूर्त
25 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी व्रत की पूजा आप सूर्योदय के बाद से कर सकते हैं क्योंकि उस समय से रवि योग और वृद्धि योग रहेगा. ये दोनों ही शुभ योग हैं. वृद्धि योग में आप जो भी कार्य करते हैं, उसके फल में वृद्धि होती है. रवि योग सूर्य के प्रभाव वाला होता है. व्रत के दिन आप पूजा के लिए राहुकाल का त्याग करें. उस दिन राहुकाल दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से दोपहर 01 बजकर 29 मिनट तक है. राहुकाल में एकादशी की पूजा न करें.

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पापांकुशा एकादशी पर भद्रा और पंचक
पापांकुशा एकादशी के दिन भद्रा और पंचक भी है. उस​ दिन भद्रा सुबह 06 बजकर 28 मिनट से शुरू हो रही है और दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगी. भद्रा का वास धरती पर है तो इस समय में कोई शुभ कार्य न करें. पापांकुशा एकादशी पर पूरे दिन पंचक है.

पापांकुशा एकादशी व्रत का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यदि आपने जाने या अनजाने में कोई भी पाप किया है तो उसके प्रायश्चित के लिए पापांकुशा एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा करें. उनकी कृपा से आपके पाप मिट जाएंगे. इस दिन आप अपनी क्षमता के अनुसार दान करके पुण्य फल प्राप्त कर सकते हैं. पापांकुशा एकादशी पर अन्न, जल, तिल, गाय, भूमि, सोना आदि का दान करना चाहिए.

Tags: Dharma Aastha, Lord vishnu, Papankusha ekadashi

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