ट्रंप को लगेगा तगड़ा झटका! सबसे करीबी को भारत भेज रहे हैं पुतिन; 50% टैरिफ पर होगा ऐसा अटैक कि तिलमिला उठेगा अमेरिका

Sep 13, 2025 - 14:55
Sep 13, 2025 - 15:14
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ट्रंप को लगेगा तगड़ा झटका! सबसे करीबी को भारत भेज रहे हैं पुतिन; 50% टैरिफ पर होगा ऐसा अटैक कि तिलमिला उठेगा अमेरिका

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ ने वैश्विक व्यापार और कूटनीति में हलचल मचा दी है। इस बीच, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपने करीबी सहयोगी और उप-प्रधानमंत्री दिमित्री पात्रुशेव को सितंबर 2025 में भारत भेजने की तैयारी कर रहे हैं। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत के साथ झींगा आयात और उर्वरक आपूर्ति जैसे क्षेत्रों में व्यापार को बढ़ावा देना है। यह कदम न केवल भारत-रूस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि अमेरिका के टैरिफ नीति को एक रणनीतिक जवाब भी देगा। आइए, इस खबर की पूरी स्थिति को विस्तार से समझते हैं।

टैरिफ की पृष्ठभूमि

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की, जिसका असर भारतीय निर्यात, खासकर झींगा उद्योग पर पड़ा है। भारत अमेरिका को झींगा का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा है, और इस क्षेत्र में सालाना अरबों डॉलर का व्यापार होता है। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि भारत द्वारा रूस से तेल और अन्य सामग्रियों की खरीद के कारण यह टैरिफ लगाया गया है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत पर लगाए गए टैरिफ की कुल दर 58% तक हो सकती है, जिसने भारतीय झींगा निर्यातकों को इक्वाडोर, इंडोनेशिया, वियतनाम और चीन जैसे देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए मजबूर कर दिया है।

इस टैरिफ नीति ने भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव को बढ़ा दिया है। ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत और चीन जैसे देश रूस से ऊर्जा खरीदकर यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दे रहे हैं, जिसके लिए उन्हें "नुकसान भुगतना होगा।" इस नीति ने न केवल भारत, बल्कि रूस की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया है, क्योंकि भारत रूसी तेल का एक प्रमुख खरीदार है।

पुतिन का रणनीतिक कदम

इस तनावपूर्ण स्थिति में, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने करीबी सहयोगी और उप-प्रधानमंत्री दिमित्री पात्रुशेव को भारत भेजने का फैसला किया है। पात्रुशेव, जो कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं, सितंबर 2025 में नई दिल्ली का दौरा करेंगे। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत से झींगा आयात और उर्वरक आपूर्ति को बढ़ाना है। यह कदम न केवल भारत-रूस व्यापार को मजबूत करेगा, बल्कि अमेरिका के टैरिफ के प्रभाव को कम करने की रणनीति भी है।

दिमित्री पात्रुशेव की यात्रा का एजेंडा

दिमित्री पात्रुशेव की यात्रा का एजेंडा मुख्य रूप से कृषि और व्यापारिक सहयोग पर केंद्रित है, जो भारत-रूस के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने का प्रयास करता है। इस यात्रा के दौरान झींगा आयात एक प्रमुख मुद्दा होगा, क्योंकि भारत अमेरिका को झींगा निर्यात का सबसे बड़ा स्रोत रहा है, लेकिन अमेरिकी टैरिफ के कारण यह बाजार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। रूस अब भारतीय झींगा निर्यातकों के लिए एक वैकल्पिक और आकर्षक बाजार के रूप में उभर सकता है, जहां विशेषज्ञों का मानना है कि रूस की बढ़ती मांग भारतीय निर्यातकों को काफी राहत प्रदान कर सकती है। पात्रुशेव की यात्रा इस दिशा में द्विपक्षीय रणनीति को अंतिम रूप देने में मदद करेगी, ताकि भारतीय झींगा का निर्यात रूस को बढ़ावा मिल सके।

इसके अलावा, उर्वरक आपूर्ति भी एजेंडे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि रूस भारत को उर्वरक का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। पात्रुशेव की यात्रा के दौरान इस आपूर्ति को और मजबूत करने पर विस्तृत चर्चा होगी, जो भारत के कृषि क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। रूस ने पहले भी भारत को उर्वरक की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित की है, और यह यात्रा इस सहयोग को और गहरा करने का अवसर प्रदान करेगी।

साथ ही, द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना भी यात्रा का एक प्रमुख उद्देश्य है। पात्रुशेव भारतीय मंत्रियों और अधिकारियों से मुलाकात करेंगे, ताकि व्यापार और निवेश के नए अवसरों की खोज की जा सके। यह प्रयास भारत-रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा, जिसमें कृषि उत्पादों, तेल, और अन्य क्षेत्रों में सहयोग शामिल है। कुल मिलाकर, यह यात्रा अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने और दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

भारत ने अमेरिकी टैरिफ के जवाब में अपनी व्यापार रणनीति को विविधीकृत करने का फैसला किया है। सरकार ने 40 देशों में विशेष आउटरीच प्रोग्राम शुरू करने की योजना बनाई है, जिसमें ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, फ्रांस, रूस, और अन्य देश शामिल हैं। इन देशों में भारत अपने टेक्सटाइल, परिधान, रत्न-आभूषण, चमड़ा, और केमिकल्स जैसे उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। खासकर रूस के साथ झींगा व्यापार को बढ़ावा देना इस रणनीति का एक हिस्सा है।

इसके अलावा, भारत ने रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। रूस भारत का एक पुराना और विश्वसनीय साझेदार रहा है, और दोनों देशों के बीच ऊर्जा, रक्षा, और कृषि जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है।

अमेरिका पर प्रभाव

ट्रंप के टैरिफ ने भारत और रूस को और करीब ला दिया है, जो अमेरिका के लिए एक रणनीतिक झटका हो सकता है। भारत के झींगा निर्यात को रूस जैसे नए बाजारों में स्थानांतरित करने से अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की हिस्सेदारी कम हो सकती है। इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को अधिक कीमत पर झींगा खरीदना पड़ सकता है, क्योंकि भारत की जगह इक्वाडोर या वियतनाम जैसे देशों से आयात बढ़ेगा।

इसके अलावा, रूस और भारत के बीच बढ़ता व्यापार अमेरिका की रूस पर आर्थिक दबाव बनाने की रणनीति को कमजोर कर सकता है। अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने दावा किया कि भारत पर टैरिफ के कारण ही पुतिन ने ट्रंप के साथ अलास्का में शिखर सम्मेलन के लिए बातचीत की मेज पर आने का फैसला किया। हालांकि, पात्रुशेव की भारत यात्रा यह दर्शाती है कि रूस अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए वैकल्पिक रास्ते तलाश रहा है।

वैश्विक कूटनीति पर प्रभाव

इस घटनाक्रम ने वैश्विक कूटनीति में भी बदलाव ला दिया है। जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वेडफुल ने हाल ही में भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख साझेदार बताया और अमेरिका की टैरिफ नीति की अपील को खारिज कर दिया। यह दर्शाता है कि ट्रंप की नीतियों के कारण अमेरिका के पारंपरिक सहयोगी भी भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहे हैं।

इसके अलावा, भारत और रूस के बीच बढ़ता सहयोग यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। ट्रंप ने दावा किया कि भारत और चीन जैसे देशों द्वारा रूस से तेल खरीदने के कारण रूस की अर्थव्यवस्था को समर्थन मिल रहा है। लेकिन भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस के साथ व्यापार जारी रखेगा, क्योंकि यह भारत की आर्थिक और रणनीतिक जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण है।

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