दरभंगा से 650 करोड़ का ITC घोटाला: ईडी जांच में सीमा हैदर और सचिन का नाम भी आया सामने

दरभंगा के दो चार्टर्ड अकाउंटेंट भाइयों पर 650 करोड़ रुपये के ITC घोटाले का आरोप। ईडी की जांच में सामने आया कि सीमा हैदर और सचिन के नाम का भी गलत इस्तेमाल किया गया।

Sep 11, 2025 - 16:48
Sep 11, 2025 - 16:50
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दरभंगा से 650 करोड़ का ITC घोटाला: ईडी जांच में सीमा हैदर और सचिन का नाम भी आया सामने

दरभंगा से 650 करोड़ रुपये का ITC घोटाला: सीमा हैदर और सचिन के नाम का भी गलत इस्तेमाल

प्रकाशित तिथि: 11 सितंबर 2025

दरभंगा। देश को हिला देने वाले 650 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) घोटाले में हर दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में सामने आया है कि इस घोटाले में हवाला कारोबारियों और फर्जी कंपनियों के नेटवर्क के साथ-साथ पाकिस्तानी मूल की सीमा हैदर और उसके भारतीय पति सचिन के नाम का भी गलत इस्तेमाल किया गया।

आरोपियों का खेल

बिहार के दरभंगा में रहने वाले दो भाई—आशुतोष झा और विपिन झा—इस घोटाले के बड़े चेहरे बनकर सामने आए हैं। दोनों चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। आरोप है कि इन्होंने सीमा हैदर और सचिन की फोटो व नाम का उपयोग करके फर्जी आईडी बनाई और उसके जरिए अरुणाचल प्रदेश सरकार से करीब 99.21 करोड़ रुपये का गबन कर लिया।

कैसे हुआ घोटाला

ईडी की रिपोर्ट बताती है कि देशभर में शेल कंपनियां बनाई गईं। इन कंपनियों के नाम पर बिना असली कारोबार किए फर्जी बिल तैयार हुए। इन्हीं फर्जी लेन-देन के आधार पर टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया गया और सरकार को लगभग 650 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया गया। जांच एजेंसी को शक है कि इस रकम का इस्तेमाल हवाला और अन्य अवैध कारोबार में किया गया।

पहले भी गिरफ्तार

यह कोई पहली बार नहीं है जब झा बंधु विवादों में आए हों। साल 2024 में भी अरुणाचल प्रदेश पुलिस ने इन्हें करीब 100 करोड़ रुपये के ITC घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया था।

ईडी की बड़ी कार्रवाई

11 सितंबर की सुबह पांच बजे से ईडी ने दिल्ली, हरियाणा, तमिलनाडु, तेलंगाना और अरुणाचल प्रदेश में बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चलाया। इटानगर स्थित जोनल ऑफिस की टीम ने कई अहम दस्तावेज और डिजिटल सबूत जब्त किए। जल्द ही आरोपियों से पूछताछ कर घोटाले की पूरी साजिश का पर्दाफाश किया जाएगा।

फर्जीवाड़े का नेटवर्क

यह मामला सिर्फ टैक्स चोरी का नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे देशभर में फैला फर्जीवाड़े का नेटवर्क आम लोगों की पहचान और नाम तक का दुरुपयोग कर लेता है। बिहार से लेकर दिल्ली और दक्षिण भारत तक फैले इस घोटाले ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि ऐसे संगठित अपराधों पर लगाम लगाना कितना मुश्किल है।

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