राजस्थान सरकार की नई गांव-ग्वाल योजना: ग्वालों को मिलेगा पारिश्रमिक, पशुपालकों को राहत
राजस्थान सरकार गांव-ग्वाल योजना शुरू कर रही है, जिसके तहत बेसहारा और ग्रामीणों की गायों को समूह में चराने की परंपरा फिर से शुरू होगी। ग्वालों को पारिश्रमिक मिलेगा और स्वच्छता व सुरक्षा बढ़ेगी।

राजस्थान सरकार की नई गांव-ग्वाल योजना: ग्वालों को मिलेगा पारिश्रमिक, पशुपालकों को राहत
जयपुर/कोटा (Rajasthan News): राजस्थान सरकार ने एक बार फिर ग्रामीण परंपराओं को पुनर्जीवित करने और पशुपालकों की समस्याओं को हल करने की दिशा में अहम कदम उठाया है। सरकार की ओर से जल्द ही ‘गांव-ग्वाल योजना’ की शुरुआत की जाएगी। इस योजना का मकसद है बेसहारा गायों और पशुपालकों की गायों को समूह में चराने की दशकों पुरानी परंपरा को फिर से शुरू करना।
इस योजना के तहत हर गांव में ग्वाल नियुक्त किए जाएंगे, जो सुबह गायों को समूह के साथ गांव के चारागाहों में चराने के लिए ले जाएंगे और शाम को वापस लाएंगे। इससे गांवों में खुले में छोड़ी जाने वाली गायों की संख्या में कमी आएगी और फसलों व सड़कों को होने वाले नुकसान से बचाव होगा।
ग्वालों को मिलेगा पारिश्रमिक, पंजीकरण होगा आवश्यक
पंचायतीराज विभाग द्वारा तैयार इस नवाचार योजना के अंतर्गत ग्वालों को ग्राम पंचायत की ओर से पारिश्रमिक दिया जाएगा। वहीं, ग्रामीण पशुपालक अपनी मर्जी से योजना में शामिल होकर गायों को चराने के लिए पंजीकरण करवा सकेंगे। यह योजना ग्रामीण रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगी और सामाजिक सहभागिता को बढ़ावा देगी।
कोटा जिले से होगी शुरुआत, खैराबाद बना रोल मॉडल
गांव-ग्वाल योजना की पायलट शुरुआत कोटा जिले के रामगंजमंडी क्षेत्र से की जाएगी, जो प्रदेश के मंत्री मदन दिलावर का गृह क्षेत्र है। इससे पहले इसी क्षेत्र की खैराबाद ग्राम पंचायत से बर्तन बैंक योजना जैसे नवाचारों की शुरुआत भी की गई थी। अब गांव-ग्वाल योजना को भी यहीं से शुरू कर पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
योजना से होंगे ये लाभ:
- गांवों की गलियों और सड़कों पर गायों का गोबर बिखरने से स्वच्छता बढ़ेगी।
- खेतों में चराई से फसलों को होने वाला नुकसान रुकेगा।
- गलियों और सड़कों पर दुर्घटनाओं की आशंका कम होगी।
- गायों द्वारा प्लास्टिक खाने की घटनाओं में भारी कमी आएगी।
काऊ हाउस व चारागाह समितियों की सक्रियता भी बढ़ेगी
राज्य सरकार केवल गायों को चराने की परंपरा ही नहीं, बल्कि उन्हें रात्रि विश्राम के लिए भी सुरक्षित स्थान देने की व्यवस्था कर रही है। इसके तहत हर गांव में काऊ हाउस (गौशाला) शुरू किए जाएंगे। साथ ही, चारागाह ग्राम समितियों को भी सक्रिय किया जा रहा है, ताकि गायों के लिए सुरक्षित और पर्याप्त चारा उपलब्ध करवाया जा सके।
पंचायतीराज विभाग का कहना है कि योजना के क्रियान्वयन से ना केवल गायों की देखभाल और सुरक्षा बेहतर होगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता, पशुधन संरक्षण और दुर्घटनाओं में कमी जैसे सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।
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