बासनपीर छतरी विवाद: बासनपीर में तनाव के बीच धारा 163 लागू, 2 महीने तक रहेगा प्रतिबंध

बासनपीर छतरी विवाद के बाद जैसलमेर प्रशासन ने इलाके में धारा 163 लागू कर दी है। दो महीने तक लाउडस्पीकर, हथियार और सार्वजनिक एकत्रीकरण पर रोक रहेगी।

Jul 16, 2025 - 16:19
Jul 16, 2025 - 16:25
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बासनपीर छतरी विवाद: बासनपीर में तनाव के बीच धारा 163 लागू, 2 महीने तक रहेगा प्रतिबंध

बासनपीर छतरी विवाद: जैसलमेर में तनाव के बीच धारा 163 लागू, 2 महीने तक रहेगा प्रतिबंध

जैसलमेर। जिले के बासनपीर गांव में बासनपीर छतरी विवाद ने प्रशासन को सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है। छतरियों के पुनर्निर्माण को लेकर दो समुदायों के बीच हुए संघर्ष के बाद उपखंड अधिकारी ने धारा 163 लागू करने के आदेश जारी किए हैं। आदेश के तहत अब दो महीने तक पांच से अधिक लोगों के एकत्रित होने, हथियार रखने और लाउडस्पीकर चलाने पर प्रतिबंध रहेगा।

प्रशासन ने दिखाई सख्ती

प्रशासन का कहना है कि बासनपीर छतरी विवाद के बाद क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी हुई है और कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। बिना अनुमति के कोई भी व्यक्ति लाउडस्पीकर, ध्वनि यंत्र, हथियार या विस्फोटक पदार्थ लेकर सार्वजनिक स्थान पर नहीं जा सकेगा। आदेशों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

10 जुलाई को हुआ था विवाद

बासनपीर गांव में 10 जुलाई 2025 को ऐतिहासिक छतरियों के पुनर्निर्माण के दौरान दो समुदाय आमने-सामने आ गए थे। झड़प में 24 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, जिनमें 20 महिलाएं भी शामिल थीं। मामला उस समय भड़का जब विशेष समुदाय की महिलाओं ने निर्माण स्थल पर पहुंचकर पथराव किया और कई लोग घायल हो गए।

क्या है बासनपीर छतरी विवाद?

बासनपीर छतरी विवाद की शुरुआत वर्ष 2019 में हुई, जब वीर योद्धा रामचंद्र जी सोढ़ा और हदूद जी पालीवाल की स्मृति में बनी छतरियों को कुछ अज्ञात लोगों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। इसके विरोध में झुंझार धरोहर बचाओ संघर्ष समिति और कई हिंदू संगठनों ने आंदोलन छेड़ा। प्रशासन और दोनों पक्षों के बीच सहमति के बाद 10 जुलाई 2025 को पुनर्निर्माण शुरू हुआ, लेकिन एक बार फिर विवाद और हिंसा की स्थिति उत्पन्न हो गई।

इतिहास से जुड़ी हैं छतरियां

1835 में महारावल गज सिंह द्वारा बनवाई गई ये छतरियां राजस्थानी विरासत का प्रतीक हैं। वीर योद्धा रामचंद्र जी ने 1828 में बासनपीर युद्ध में वीरगति पाई थी और हदूद जी पालीवाल ने गांव में जल संचयन के लिए तालाब खुदवाया था। इनकी स्मृति में बनी छतरियां आज भी राजपूत समुदाय के गौरव और सम्मान की प्रतीक हैं।

प्रशासन की अपील

प्रशासन ने आमजन से अपील की है कि अफवाहों से दूर रहें और बासनपीर छतरी विवाद को लेकर सोशल मीडिया पर कोई भ्रामक जानकारी साझा न करें।

Ab Tak Bharat इस मामले से जुड़े हर अपडेट को निष्पक्ष रूप से आपके सामने लाता रहेगा।

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