Muharram 2025: मुहर्रम कब है? क्यों मनाते हैं? जानें तारीख, महत्व और इतिहास
Muharram 2025 की तारीख क्या है? जानें आशूरा का महत्व, करबला की घटना का इतिहास और क्यों यह महीना इस्लाम धर्म में बलिदान और न्याय का प्रतीक माना जाता है।
📅 मुहर्रम 2025 कब है?
इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम अत्यंत पवित्र माना जाता है। वर्ष 2025 में इसकी शुरुआत 27 जून 2025 (शुक्रवार) से होने की संभावना है। यह तिथि चाँद दिखने पर निर्धारित होती है। मुहर्रम की 10वीं तारीख, जिसे आशूरा कहा जाता है, 6 जुलाई 2025 (रविवार) को पड़ सकती है।
📖 मुहर्रम का धार्मिक महत्व
मुहर्रम को “अल्लाह का महीना” कहा गया है। इस महीने में अन्याय के खिलाफ खड़ा होने, बलिदान देने और सब्र का प्रदर्शन करने की सीख दी जाती है। यह महीना विशेष रूप से इमाम हुसैन (र.अ) और उनके साथियों की करबला में दी गई शहादत को याद करने के लिए प्रसिद्ध है।
🕋 करबला की घटना और इमाम हुसैन की शहादत
सन् 680 ई. (61 हिजरी) में करबला (वर्तमान इराक) में इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद (स.अ) के नवासे इमाम हुसैन ने अत्याचारी शासक यज़ीद के खिलाफ खड़े होकर न्याय और सच्चाई की मिसाल कायम की। उनके साथ 72 साथी, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, भूखे-प्यासे रहकर यज़ीद की फौज से लड़े और शहीद हो गए।
🏴 आशूरा का महत्व
- शिया मुस्लिम समुदाय इस दिन इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मातम करता है।
- सुन्नी मुस्लिम इस दिन रोज़ा रखते हैं और दुआ करते हैं।
- इस दिन को सच्चाई के लिए बलिदान का प्रतीक माना जाता है।
🕌 मुहर्रम के दौरान की जाने वाली प्रथाएं
- रोज़ा: सुन्नी मुस्लिम 9 और 10 मुहर्रम का रोज़ा रखते हैं।
- मजलिस: शिया समुदाय करबला की घटना पर आधारित प्रवचन आयोजित करता है।
- ताजिया जुलूस: इमाम हुसैन की याद में प्रतीकात्मक ताजिया निकाले जाते हैं।
- दान: गरीबों को खाना व कपड़े दिए जाते हैं।
🌏 भारत और विश्व में मुहर्रम का स्वरूप
भारत में मुहर्रम का आयोजन बड़े स्तर पर होता है, विशेषकर लखनऊ, हैदराबाद, कश्मीर, कोलकाता, पटना और भोपाल जैसे शहरों में। लाखों की संख्या में लोग जुलूस में भाग लेते हैं। वहीं, इराक, ईरान, पाकिस्तान और बहरीन जैसे देशों में भी भव्य मजलिस और मातमी जुलूस निकलते हैं।
📚 धार्मिक मान्यताएं और हदीस
- हजरत नूह की नाव आशूरा के दिन सुरक्षित उतरी थी।
- हजरत मूसा को आशूरा के दिन फिरऔन से छुटकारा मिला था।
- हजरत आदम की तौबा इस दिन कबूल हुई थी।
हदीस: "रमज़ान के बाद सबसे बेहतरीन रोज़ा मुहर्रम का है।" – (सही मुस्लिम)
🔍 क्या मुहर्रम में शादी करना वर्जित है?
मुहर्रम को शोक का महीना माना जाता है, विशेषकर शिया समुदाय में। इस कारण इस दौरान शादियाँ, जश्न, संगीत आदि टाले जाते हैं। हालांकि, सुन्नी समाज में यह अनिवार्य नहीं है लेकिन संवेदनशीलता बनाए रखना उचित माना जाता है।
📌 मुहर्रम से क्या सीखें?
मुहर्रम सिर्फ एक धार्मिक तिथि नहीं, बल्कि एक विचारधारा है। यह बताता है कि सत्य के मार्ग पर चलना कभी आसान नहीं होता, लेकिन उसमें ही असली विजय है।
📌
मुहर्रम 2025 हमें एक बार फिर याद दिलाएगा कि धर्म, न्याय और सत्य के लिए किया गया बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाता। इमाम हुसैन का जीवन और उनकी शहादत आज भी लाखों लोगों को इंसाफ, इंसानियत और हिम्मत की प्रेरणा देती है।
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