क्रिप्टोकरेंसी भारत में बैन होंगी? सरकार ने किया स्पष्ट—नो-बैन पर भारी टैक्स, RBI-बैक्ड डिजिटल करेंसी आ रही है
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि बिना सरकारी समर्थन वाली क्रिप्टोकरेंसी को भारत में प्रोत्साहित नहीं किया जाएगा। सीधे बैन नहीं पर भारी कराधान और RBI-समर्थित डिजिटल करेंसी (CBDC) की तैयारी जारी है।
क्रिप्टोकरेन्सी बैन? बिटकॉइन, बाइनेंस या पाई नेटवर्क — सरकार ने कह दिया साफ-साफ
नई दिल्ली: क्या भारत में बिटकॉइन, बाइनेंस, पाई नेटवर्क जैसी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाएगा? इस पर सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि वे उन क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा नहीं देते जिनका किसी सरकारी संस्थान या वास्तविक संपत्ति पर आधार नहीं है।
सरकार का यह रुख स्पष्ट है कि जिन डिजिटल संपत्तियों का souverign या वास्तविक-आधार नहीं है, उन्हें प्रोत्साहित नहीं किया जाएगा — यह बात मंत्री ने हालिया बयानों में दोहराई।
क्या क्रिप्टो पर पूर्ण बैन लगाया जा रहा है?
गोयल ने कहा है कि बिना सरकारी समर्थन वाली क्रिप्टोकरेंसी पर कोई सीधे-सीधे बैन लागू नहीं किया गया है, लेकिन ऐसे डिजिटल एसेट के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए उन पर भारी कराधान लागू है। उनका तर्क है कि बिना किसी जवाबदेही या असली-विश्व संपत्ति के आधार वाली क्रिप्टोकरेंसी में जोखिम ज़्यादा होता है।
इसलिए सरकार ने नीतिगत रूप से स्पष्ट कर दिया है: नो-बैन (स्पष्ट प्रतिबंध नहीं), परन्तु नो-प्रोमोशन (प्रोत्साहन नहीं) — और उपयोग को संस्थागत करने के लिए कर व नियमों से नियंत्रण।
क्यों भारी टैक्स लगाया जाता है?
सरकार का कहना है कि क्रिप्टो-ट्रेडिंग में धोखाधड़ी, पहचानहीनता और मनी-लॉन्ड्रिंग जैसी जोखिमें अधिक हैं—इसी कारण से डिजिटल एसेट पर लागू कराधान (जो कई बार फ्लैट दर पर होता है और लेन-देन पर TDS नियम भी लागू हैं) को हतोत्साहित करने वाला बनाया गया है। अर्थ विशेषज्ञों के अनुसार भारत में क्रिप्टो इनकम पर लगाया गया कर और TDS नीतियाँ ट्रेडिंग को काफी महंगी और पेचीदा बनाती हैं।
उदाहरण के लिए, हालिया रिपोर्टों में बताया गया है कि डिजिटल एसेट आय पर 30% की टैक्स दर और कुछ मामलों में लेनदेन पर TDS लागू होने से लोग नुकसान पर भी कर-दायित्व के दायरे में आते हैं—जिससे निवेशकों और ट्रेडर्स पर भार पड़ता है।
डिजिटल करेंसी (CBDC) — सरकार क्या ला रही है?
पीयूष गोयल ने बताया कि भारत अपनी स्वयं की RBI-समर्थित डिजिटल करेंसी जल्दी ही पेश करेगा — यानी एक ऐसा डिजिटल रूप जो रिजर्व बैंक द्वारा समर्थित होगा और इसलिए अधिक स्थिर तथा ट्रेस-योग्य होगा। इस नई डिजिटल मुद्रा का उद्देश्य लेन-देन को तेज, सस्ता और पता लगाने योग्य बनाना है ताकि काले धन और मनी-लॉन्ड्रिंग पर नियंत्रण हो सके।
इसके अलावा, आरबीआई डिजिटल मुद्रा और उससे जुड़ी टोकनाइज़ेशन/पायलट परियोजनाओं पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है, जिससे विनियमन और तकनीकी परीक्षण दोनों में तेजी आई है।
बिटकॉइन vs भारत की डिजिटल करेंसी: क्या फर्क होगा?
बिटकॉइन और कई निजी क्रिप्टोकरेंसी पीयर-टू-पीयर और अक्सर विकेंद्रीकृत नेटवर्क पर चलते हैं — जबकि भारत की CBDC (डिजिटल रुपया) सरकार/आरबीआई के नियंत्रण/समर्थन के साथ होगी। इसका मतलब होगा अधिक स्थिरता, नियामक नियंत्रण और ट्रैस-एबिलिटी; वहीं निजी क्रिप्टो पर कर और नियम कठोर रखकर उन्हें सीमित किया जाएगा।
नोट: इस रिपोर्ट में उद्धृत सरकारी बयानों और तकनीकी पहल के लिए मीडिया रिपोर्टों और आधिकारिक घोषणाओं का संदर्भ लिया गया है।
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