सुप्रीम कोर्ट तय करेगा: क्या शेयर ट्रेडिंग पर लगने वाला Securities Transaction Tax (STT) वैध है?
Supreme Court ने शेयर बाजार पर लगने वाले Securities Transaction Tax (STT) की वैधता पर सुनवाई शुरू की। याचिकाकर्ता ने कहा – STT डबल टैक्सेशन है और नुकसान पर भी देना पड़ता है। केंद्र सरकार से जवाब तलब।
सुप्रीम कोर्ट तय करेगा: क्या शेयर ट्रेडिंग पर लगने वाला Securities Transaction Tax (STT) वैध है?
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शेयर बाजार में लगने वाले Securities Transaction Tax (STT) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया है। अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। याचिका एक ट्रेडर असीम जुनेजा द्वारा दायर की गई है, जिन्होंने कहा कि STT दोहरी कराधान (Double Taxation) के सिद्धांत का उल्लंघन करता है।
STT को साल 2004 में लागू किया गया था और फिलहाल यह शेयरों की खरीद और बिक्री दोनों पर 0.1% की दर से लगाया जाता है।
अदालत की टिप्पणी
जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने वित्त मंत्रालय को नोटिस जारी कर इस कर की वैधता पर केंद्र का पक्ष मांगा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह कर असंवैधानिक है क्योंकि इससे एक ही लेनदेन पर दो बार टैक्स देना पड़ता है, और ट्रेडर को नुकसान होने पर भी टैक्स देना पड़ता है।
“STT दंडात्मक और हतोत्साहित करने वाला कर”
याचिकाकर्ता के वकील सिद्धार्थ के. गर्ग ने अदालत से कहा कि STT एक दंडात्मक (Punitive) टैक्स है जो लोगों को शेयर बाजार में निवेश से हतोत्साहित करता है। उन्होंने बताया कि दुनिया के किसी भी बड़े वित्तीय बाजार में इस तरह का कर नहीं लगाया जाता।
“STT भारत में एकमात्र ऐसा टैक्स है जो किसी पेशे को करने के मात्र कार्य पर लगाया जाता है। चाहे व्यक्ति को लाभ हो या हानि — टैक्स देना ही पड़ता है। यह इसे लगभग दंडात्मक स्वरूप देता है।”
दोहरी कराधान का आरोप
वकील गर्ग ने कहा कि शेयर बाजार के निवेशक शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) पहले से ही चुकाते हैं — जो क्रमशः एक वर्ष से कम और अधिक अवधि के निवेश पर लगते हैं। STT इन करों के ऊपर अतिरिक्त रूप से वसूला जा रहा है, जिससे यह डबल टैक्सेशन का मामला बनता है।
सुप्रीम कोर्ट अब यह तय करेगा कि क्या STT संविधान के अनुरूप है या इसे खत्म किया
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