Rajasthan Panchayat Election: पंचायत चुनाव पर रोक से उलझी गांवों की राजनीति, धरी रह गई दावेदारों की तैयारी
राजस्थान में पंचायत चुनावों पर लगी रोक से गांवों की राजनीति में भारी उलझन। दावेदारों की तैयारियां धरी रह गईं, समर्थकों में मायूसी। जानिए पूरी ग्राउंड रिपोर्ट।
Rajasthan Panchayat Election: पंचायत चुनाव पर रोक से उलझी गांवों की राजनीति, धरी रह गई दावेदारों की तैयारी
बीकानेर। राजस्थान में पंचायत चुनावों पर लगी रोक के कारण गांवों के राजनीतिक समीकरण बुरी तरह उलझ गए हैं। सरपंच व वार्ड पंच पद के दावेदारों ने महीनों तैयारी की, सामाजिक बैठकों में शक्ति प्रदर्शन किया और खर्चे भी किए — मगर निर्वाचन आयोग के एसआईआर आदेश ने एक झटके में सारी रणनीतियों पर विराम लगा दिया।
अब गांवों में चर्चा का विषय सिर्फ एक है — चुनाव कब होंगे? सूत्रों के अनुसार फरवरी 2026 से पहले चुनाव संभव नहीं बताए जा रहे हैं, जिससे दावेदारों में निराशा बढ़ गई है।
‘शादी जैसे इंतजाम’ — लेकिन सब धरा रह गया
बीकानेर जिले की कई ग्राम पंचायतों — महाजन, अरजनसर, बडेरण, रामबाग, शेरपुरा, जैतपुर, बालादेसर — में सरपंच बनने का सपना सजाए प्रत्याशियों ने अपने सभी समीकरण बैठाने शुरू कर दिए थे।
- घर-घर संपर्क अभियान
- गुवाड़ व चौपालों में समर्थन जुटाना
- जातिगत समीकरण साधना
- प्रचार सामग्री व कार्यालय तैयार करना
कुछ जगहों पर तो जैसे शादी की तरह तैयारी हो गई थी — पर ऐन समय पर लगी रोक से दावेदारों के अरमान आंसुओं में बह गए।
खर्च बढ़ा, वोट बैंक खिसकने का डर
“अभी तक जो खर्च किया वो व्यर्थ चला गया, चुनाव टलने से नए सिरे से सब करना पड़ेगा।”
— एक सरपंच दावेदार (नाम न छापने की शर्त पर)
समय बढ़ने से:
- चुनावी खर्च दोगुना होने की आशंका
- मतदाता मन बदल सकते हैं
- विपक्षी दावेदारों के सक्रिय होने का डर
- कई चुनावी कार्यालयों में सन्नाटा छा गया
गांवों की हथाई, चौपाल, गुवाड़ — सभी जगह चर्चा
➡️ “चुनाव आखिर होंगे कब?”
पिछली बार कम अंतर से हारे उम्मीदवारों की बेचैनी बढ़ी
पिछले चुनाव में कुछ वोटों से हारने वाले उम्मीदवार इस बार कमी पूरी करने की तैयारी में लगे थे। वहीं मौजूदा प्रतिनिधि फिर से अपना प्रभाव बनाए रखने के लिए सक्रिय हैं।
आगे क्या?
राज्य में पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। कानूनी प्रक्रिया के चलते एसआईआर लागू है और फरवरी 2026 से पहले चुनाव होने की संभावना कम है। जब तक नई तारीख का एलान नहीं होता:
- राजनीतिक अस्थिरता बरकरार रहेगी
- दावेदारों को लंबा इंतजार करना पड़ सकता है
राजस्थान की ग्रामीण राजनीति में इस समय उलझन और अनिश्चितता का दौर है। दावेदारों की तमाम तैयारियां फिलहाल इंतजार की भेंट चढ़ गई हैं — अब गांवों में बस एक ही सवाल गूंज रहा है:
“चुनाव कब होंगे?”
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