Navratri 2025: 22 सितंबर से होगी नवरात्रि की शुरुआत, जानें कलश स्थापना मुहूर्त, तिथियां और दुर्लभ योग

शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर से होगी और इस बार यह 10 दिनों तक चलेगी। जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, देवी पूजन की तिथियां और गजकेसरी राजयोग जैसे दुर्लभ संयोगों का महत्व।

Sep 21, 2025 - 15:57
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Navratri 2025: 22 सितंबर से होगी नवरात्रि की शुरुआत, जानें कलश स्थापना मुहूर्त, तिथियां और दुर्लभ योग

Navratri 2025: 22 सितंबर से होगी नवरात्रि की शुरुआत — कलश स्थापना मुहूर्त, तिथियां और दुर्लभ योग

प्रकाशित: 21 सितंबर 2025 | लेखक: AbtakBharat.com Editorial
शारदीय नवरात्रि 2025 इस साल 22 सितंबर (सोमवार) से शुरू होकर 1 अक्टूबर को समाप्त होगी — कुल 10 दिनों का यह पर्व है। 2 अक्टूबर को विजयादशमी (दशहरा) मनाया जाएगा। इस वर्ष कुछ दुर्लभ ग्रहयोग और कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त इस पर्व को विशेष बना रहे हैं।

दुर्लभ संयोग: नवरात्रि 10 दिनों की — क्या अर्थ है?

आम तौर पर नवरात्रि 9 दिनों की होती है, पर इस साल तिथियों की वृद्धि के कारण यह 10 दिनों तक चलेगी। ज्योतिषविदों और पंडितों के अनुसार तिथियों में वृद्धि को शुभ माना जाता है क्योंकि इससे पूजा-अर्चना और अनुष्ठान के लिए अधिक समय मिलता है।

इस वर्ष बनने वाले प्रमुख ग्रहयोग

आध्यात्मिक गुरु पंडित कमलापति त्रिपाठी प्रमोद के अनुसार इस नवरात्रि पर कई विशेष योग बन रहे हैं:

  • गजकेसरी राजयोग — गुरु मिथुन राशि में और चंद्रमा कन्या राशि में (यह नवरात्रि के आरंभ पर प्रभावी रहेगा)
  • बुधादित्य राजयोग
  • भद्र राजयोग
  • धन योग — चंद्र-मंगल युति तुला राशि में
  • त्रिग्रह योग — चंद्रमा, बुध और सूर्य की युति कन्या राशि में
गज (हाथी) पर मां दुर्गा का आगमन: शास्त्रों में जब माता का आगमन हाथी पर दर्शाया जाता है तो इसे समृद्धि और कृषि वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस वर्ष यह संकेत विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है। ध्यान रहे—प्रस्थान के संदर्भ में किसी मान्यता के अनुसार माता का मानव सवारी पर प्रस्थान को अनुकूल नहीं बताया गया है।

नवरात्रि 2025 — प्रमुख तिथियां और देवी के स्वरूप

प्रत्येक दिन किस देवी का पूजन होगा, सूची नीचे दी जा रही है:

  • 22 सितंबर (प्रतिपदा) – मां शैलपुत्री पूजा
  • 23 सितंबर (द्वितीया) – मां ब्रह्मचारिणी पूजा
  • 24 सितंबर (तृतीया) – मां चंद्रघंटा पूजा
  • 25 सितंबर (तृतीया पुनः) – मां चंद्रघंटा पूजा
  • 26 सितंबर (चतुर्थी) – मां कूष्मांडा पूजा
  • 27 सितंबर (पंचमी) – मां स्कंदमाता पूजा
  • 28 सितंबर (षष्ठी) – मां कात्यायनी पूजा
  • 29 सितंबर (सप्तमी) – मां कालरात्रि पूजा
  • 30 सितंबर (महाअष्टमी) – मां महागौरी पूजा
  • 1 अक्टूबर (महानवमी) – मां सिद्धिदात्री पूजा

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार बताए गए हैं:

  • मुख्य मुहूर्त: 22 सितंबर सुबह 06:09 — 08:06
  • अभिजीत मुहूर्त: 22 सितंबर मध्यान्ह 11:49 — 12:38
  • सामान्य दिशा: शाम 6 बजे से पहले कलश स्थापना करना भी शुभ माना जाता है।

नवरात्रि का आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व

नवरात्रि शक्ति (शक्ति) और साहस का पर्व है। नौ दिनों तक देवी के नौ स्वरूपों की अराधना से आत्मशुद्धि, आत्मसंयम और मनोबल बढ़ता है। व्रत, उपवास और भजन-कीर्तन का धार्मिक और मानसिक दोनों रूपों में लाभ माना गया है।

कैसे मनाएं — सरल सुझाव

  • सुबह-शाम दूर्वा, पुष्प और रोली से देवी का पूजन करें।
  • कलश स्थापना मुहूर्त के अनुसार स्थान और समय सुनिश्चित कर लें।
  • यदि संभव हो तो प्रतिदिन किसी न किसी देवी के स्वरूप पर ध्यान केंद्रित कर भजन-पूजन रखें।
  • व्रत रख रहे हैं तो परहेज और साधना का पालन अनुशासन के साथ करें।

नोट: ऊपर दी गई जानकारी धार्मिक और पौराणिक स्रोतों/स्थानीय पंडितों के सामान्य मार्गदर्शन पर आधारित है। व्यक्तिगत ज्योतिषीय सलाह के लिए आप अपने स्थानीय पंडित या ज्योतिषी से संपर्क कर सकते हैं।

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