राजस्थान में 'ज़हरीली' सिरप ने छीनी चौथी जान – 6 साल का अनस भी नहीं बचा, आखिर कब तक?
जयपुर/चूरू: राजस्थान में खांसी की सिरप से मासूमों की मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। शनिवार (4 अक्टूबर 2025) को चूरू जिले के 6 साल के बच्चे अनस खान की जयपुर के राजकीय जेके लोन अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। परिवार का दावा है कि बच्चे को खांसी के इलाज के लिए सरकारी अस्पताल से मिली डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड (Dextromethorphan HBr) वाली सिरप पिलाने के बाद उसकी हालत अचानक बिगड़ गई। यह इस सिरप से होने वाली मौतों की चौथी घटना बताई जा रही है, हालांकि स्वास्थ्य विभाग मौत का कारण 'एक्यूट ब्रेन फीवर' (मेनिन्जाइटिस) बता रहा है। अब तक राज्य में इस सिरप से जुड़े मामलों में तीन मौतें और 35 से अधिक बच्चे बीमार हो चुके हैं।
घटना का पूरा विवरण
चूरू के रतनगढ़ तहसील के निवासी अनस खान को पिछले कुछ दिनों से मामूली खांसी की शिकायत थी। परिवार ने स्थानीय सरकारी स्वास्थ्य केंद्र से परामर्श लिया, जहां डॉक्टर ने डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन वाली खांसी की सिरप लिखी। बच्चे को सिरप पिलाने के बाद उसकी हालत स्थिर रही, लेकिन शुक्रवार रात को अचानक बुखार बढ़ गया और वह बेहोश हो गया। परिजनों ने उसे तुरंत चूरू के अस्पताल ले जाया, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद जयपुर के जेके लोन अस्पताल रेफर कर दिया गया।अस्पताल पहुंचने पर अनस को सुबह 4 बजे भर्ती किया गया। डॉक्टरों ने जांच में एक्यूट ब्रेन फीवर के लक्षण पाए, लेकिन परिवार का कहना है कि सिरप के सेवन के बाद ही ऐसी जटिलताएं शुरू हुईं। सुबह 10 बजे अनस ने अंतिम सांस ली। परिवार के सदस्यों ने बताया, "हमने सरकारी अस्पताल पर भरोसा किया था। दवा मुफ्त योजना के तहत मिली थी, लेकिन यह जहर साबित हो गई। हमारा बच्चा चला गया, दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।" अनस के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आरएन सेहरा ने पुष्टि की कि अनस को भर्ती किया गया था और मौत ब्रेन फीवर से हुई। उन्होंने कहा कि सिरप से जुड़े सात अन्य बच्चे (मुख्य रूप से सीकर और भरतपुर से) भी अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें से दो आईसीयू से सामान्य वार्ड में शिफ्ट हो चुके हैं।
अब तक की मौतें और प्रभावित बच्चे
यह घटना राजस्थान में डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन सिरप से जुड़ी मौतों की चौथी कड़ी है। राज्य भर में अब तक:सीकर: एक मौत (5 साल का नित्यांश, खोरी ब्राह्मणान गांव) और तीन बच्चे बीमार।
भरतपुर: दो मौतें (2 साल का तीरथराज, लुहासा गांव और 3 साल का सम्राट जाटव, बयाना तहसील)। यहां चार दिन पहले कलासड़ा गांव में एक अन्य बच्चे (गगन, 4 साल) की हालत भी बिगड़ी थी, जिसे वेंटिलेटर पर रखा गया।
चूरू: चौथी मौत (अनस खान)।
अन्य जिले: बांसवाड़ा (7 बच्चे भर्ती), जोधपुर, जयपुर और श्रीमाधोपुर में 10 से अधिक बच्चे प्रभावित। भरतपुर में एक डॉक्टर भी इस सिरप से बीमार पड़े। कुल 35 से अधिक बच्चे बीमार, जिनमें से कई आईसीयू में हैं।
परिवारों का एकमत आरोप है कि सिरप सरकारी निशुल्क दवा योजना के तहत वितरित की गई थी। सिरप की कंपनी 'कायसन फार्मा' पर 2023 में भी बैन लगा था, लेकिन नए नाम से टेंडर हासिल कर दवा बांटी गई।
सरकारी प्रतिक्रिया और जांच
राजस्थान सरकार ने सिरप पर तत्काल रोक लगा दी है। चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने शनिवार को कहा, "बच्चों की मौत सिरप से नहीं, बल्कि अन्य कारणों (जैसे ब्रेन फीवर या ओवरडोज) से हुई। जांच में दवा सुरक्षित पाई गई।" उन्होंने परिजनों की लापरवाही का भी जिक्र किया। हालांकि, दवा नियंत्रक अजय फाटक ने 21 बैचों के सैंपल लैब भेजे हैं और आरएमएससीएल (राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड) ने वितरण रोका है।
केंद्र सरकार ने भी एडवाइजरी जारी की:
2 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न दें।
5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए डॉक्टर की सलाह अनिवार्य।
स्वास्थ्य विभाग की हेल्पलाइन 104 पर संपर्क करें।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने 6 राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित) में 19 दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स की जांच शुरू की है। विशेषज्ञों का कहना है कि सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) जैसे जहरीले केमिकल मिले हो सकते हैं, जो किडनी फेलियर और ब्रेन इंफेक्शन का कारण बनते हैं।
पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में भी संकट
यह समस्या सिर्फ राजस्थान तक सीमित नहीं। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में पिछले 15 दिनों में 9 बच्चों की किडनी फेलियर से मौत हो चुकी है, जिनमें से 5 ने 'कोल्ड्रिफ' सिरप लिया था। राज्य ने सिरप बैन कर दी है और 12 प्रकार की दवाओं के सैंपल जांच के लिए भेजे हैं। तमिलनाडु ने भी 'कोल्ड्रिफ' बाजार से हटा ली। कुल मिलाकर दोनों राज्यों में 11-14 मौतें दर्ज।
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