चुनाव आयोग का सख्त एक्शन: 17 गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द, 7 को नोटिस पर तैयारी
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने चुनावी व्यवस्था को पारदर्शी और साफ-सुथरा बनाने की अपनी मुहिम के तहत एक और बड़ा कदम उठाया है। आयोग ने 17 गैर-मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों (RUPPs) को डी-लिस्ट कर उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। इनमें राजस्थान की जमींदारा पार्टी भी शामिल है, जिसने 2013 के विधानसभा चुनावों में दो सीटें जीती थीं। इसके साथ ही, आयोग ने राजस्थान की सात अन्य गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों को नोटिस जारी करने की तैयारी शुरू कर दी है, जो पिछले तीन वित्तीय वर्षों में अपने वार्षिक ऑडिटेड अकाउंट और चुनाव खर्च का ब्योरा पेश करने में विफल रही हैं।
डी-लिस्टिंग की वजह: छह साल तक चुनाव में हिस्सा न लेना
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29A के तहत पंजीकृत कोई भी राजनीतिक दल यदि लगातार छह साल तक किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं लेता है, तो उसे गैर-मान्यता प्राप्त दलों की सूची से हटाया जा सकता है। आयोग ने 2019 से इस नियम के आधार पर निष्क्रिय दलों को चिह्नित करने और डी-लिस्ट करने की प्रक्रिया शुरू की थी। इस प्रक्रिया के तहत अब तक दो चरणों में कुल 808 गैर-मान्यता प्राप्त दलों को सूची से हटाया जा चुका है।
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पहला चरण: 9 अगस्त 2025 को 334 गैर-मान्यता प्राप्त दलों को डी-लिस्ट किया गया।
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दूसरा चरण: 18 सितंबर 2025 को 474 दलों को सूची से हटाया गया, जिनमें से 17 दल हालिया कार्रवाई में शामिल हैं।
इस कार्रवाई के बाद देश में गैर-मान्यता प्राप्त पंजीकृत दलों की संख्या 2,854 से घटकर 2,046 रह गई है। वर्तमान में छह मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दल और 67 राज्य स्तरीय दल सक्रिय हैं।
जमींदारा पार्टी सहित 17 दल डी-लिस्ट
हालिया कार्रवाई में डी-लिस्ट किए गए 17 दलों में राजस्थान की जमींदारा पार्टी भी शामिल है। इस पार्टी ने 2013 के राजस्थान विधानसभा चुनावों में दो सीटें जीतकर सुर्खियां बटोरी थीं, लेकिन इसके बाद यह दल सक्रिय नहीं रहा। इन 17 दलों में से छह जयपुर से हैं, जो इस कार्रवाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। डी-लिस्ट होने के बाद ये दल अब निम्नलिखित सुविधाओं से वंचित हो जाएंगे:
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चुनाव लड़ने का अधिकार: ये दल अब किसी भी चुनाव में अपने उम्मीदवार नहीं उतार सकेंगे।
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आयकर छूट: आयकर अधिनियम 1961 के तहत मिलने वाली कर छूट अब इन्हें नहीं मिलेगी।
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चुनाव चिह्न: चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश 1968 के तहत मिलने वाले विशेषाधिकार भी समाप्त हो जाएंगे।
सात दलों को नोटिस की तैयारी
चुनाव आयोग ने राजस्थान की सात अन्य गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों को नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू की है। ये दल पिछले तीन वित्तीय वर्षों (2021-22, 2022-23, 2023-24) में अपने वार्षिक ऑडिटेड अकाउंट और चुनाव खर्च का ब्योरा जमा करने में विफल रहे हैं। आयोग ने कुल 359 ऐसे दलों को चिह्नित किया है, जो 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित हैं। इन दलों को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।
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नोटिस की प्रक्रिया: संबंधित राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) को इन दलों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया है।
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सुनवाई का मौका: नोटिस के जवाब में दलों को सुनवाई का अवसर दिया जाएगा। यदि जवाब संतोषजनक नहीं हुआ, तो इन्हें भी डी-लिस्ट कर दिया जाएगा।
राज्यों में डी-लिस्टिंग का विवरण
दूसरे चरण में डी-लिस्ट किए गए 474 दलों में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश से 121 दल शामिल हैं। इसके बाद दिल्ली (40), महाराष्ट्र (44), तमिलनाडु (42), बिहार (15), मध्य प्रदेश (23), पंजाब (21) और राजस्थान (17) का नंबर आता है। इस कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि आयोग पूरे देश में निष्क्रिय दलों के खिलाफ एक समान नीति अपना रहा है।
क्यों जरूरी है यह कार्रवाई?
चुनाव आयोग का यह कदम चुनावी व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। कई गैर-मान्यता प्राप्त दल केवल कागजों पर मौजूद रहते हैं और न तो चुनाव लड़ते हैं और न ही वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखते हैं। ऐसे दलों का अस्तित्व चुनावी प्रक्रिया में भ्रम पैदा कर सकता है और संसाधनों का दुरुपयोग कर सकता है। आयोग का कहना है कि यह अभियान भविष्य में भी चरणबद्ध रूप से जारी रहेगा।
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